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लेखनी कहानी -13-Mar-2022 भ्रष्टाचार

जिसे हम लोग कहते हैं भ्रष्टाचार 

असल में वह तो है बस शिष्टाचार 
"चाय पानी" कोई बुरी बात तो नहीं 
"दारू मुर्गी" कोई खैरात तो नहीं 
इनमें से कुछ भी ना हो तो कोई गम नहीं 
"रात का इंतजाम हो जाये" ये कम तो नहीं 
हरे हरे नोटों को देखकर हरियाली आती
गुलाबी नोटों से दीवाली सी मन जाती 
पलंग पे बिछाकर सोने में आनंद है आता
घूस खाने को ना मिले तो चारा खाना पड़ जाता 
बोफोर्स वाली तोपों में दलाली के गोले 
2जी, कोल स्कैम में भ्रष्टाचार के शोले 
पुलिस बिना "घूस" रिपोर्ट नहीं लिखती 
बाबू की कलम मुठ्ठी गर्म होने पर ही चलती
टेबल के नीचे से पैसा लिया जाता है 
"ऊपर" का माल हजम किये बिना कहाँ चैन आता है 
दवाई में कमीशन, जांच में कमीशन 
मरने के बाद भी वेंटीलेटर पर जीवन 
सड़क बिना घूस नहीं बनती 
गाड़ी रिश्वत के पेट्रोल से चलती 
"मुफ्त" में बिजली पानी दे वोट खरीदते 
एक पव्वे में ही यहां कुछ लोग हैं बिकते 
"हरि व्यपक सर्वत्र समाना " उसी तरह 
भ्रष्टाचारियों का ही है बस अब ये जमाना 
नेता, अफसर, जज, मीडिया, पुलिस, बाबू 
जो आते हैं सिर्फ पैसे से काबू 
पर ये सब हमारे ही समाज के तो हैं 
फिर भ्रष्टाचार पर इतना क्यों रोते हैं ? 
हम सुधरेंगे जग सुधरेगा , इसे ध्यान रखना
काम निकलवाने की खातिर कभी ना "पैसा" देना 

हरिशंकर गोयल "हरि"
13.3.22 


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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

13-Mar-2022 05:19 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Mar-2022 01:48 AM

आभार आपका मैम

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Gunjan Kamal

13-Mar-2022 03:19 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Mar-2022 01:47 AM

आभार आपका आदरणीय

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Mohammed urooj khan

13-Mar-2022 11:07 AM

बोहोत खूब कहा आपने सर अपनी कविता के माध्यम से

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Mar-2022 01:47 AM

धन्यवाद जी

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